परिचय
हरियाणा के भिवानी जिले में 19 साल की शिक्षिका मनीषा की संदिग्ध मौत ने पूरे प्रदेश में हलचल पैदा कर दी। यह मामला घरेलू हिंसा, पुलिस की निकम्मी प्रतिक्रिया, जन आक्रोश, और अंततः CBI जांच तक ले आया है। इस ब्लॉग में हम घटना का समय-रेखा, मुख्य बिंदु और अब तक के खुले सवालों को साफ़़ तरीके से समझेंगे।
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घटना-क्रम: क्या-क्या हुआ?
तारीख घटनाक्रम
11 अगस्त मनीषा स्कूल से निकली, नर्सिंग कॉलेज में दाखिले के बारे में पूछताछ के लिए—उसके बाद वह लापता हो गई।
13 अगस्त एक खेत में मनीषा का शव मिला। गला काटा हुआ नहीं, शव में पेस्टीसाइड खोजा गया, और पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ।
14–18 अगस्त पुलिस पर आरोप लगे कि उन्होंने लापरवाही बरती; परिवार अंत्येष्टि से इनकार कर रहा था। गाँव वालों ने मार्ग बंद कर विरोध प्रदर्शन किए; NHRC भी रिपोर्ट मांगी।
19 अगस्त मनीषा का अंतिम संस्कार AIIMS, PGIMS सहित तीन पोस्टमॉर्टम के बाद हुआ। मोबाइल इंटरनेट और SMS सेवाएँ 2 जिलों में 48 घंटे तक बंद रहीं।
20–24 अगस्त CM सैनी ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा—"मनीषा हमारी बेटी थी"; CBI जांच का ऐलान किया गया।
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अब तक की प्रमुख जानकारी और विवाद
1. सुसाइड या हत्या?
पुलिस का दावा है कि पेस्टीसाइड शरीर में पाया गया, साथ में सुसाइड नोट भी था, और कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ।
लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्टों में मेडिकल पेचीदगियाँ और रिपोर्ट में असंगति भी दिखाई गई हैं।
2. पुलिस की निष्क्रियता और इसका राजनीतिक असर
परिवार और ग्रामीणों ने पुलिस की शुरुआती लापरवाही, FIR दर्ज करने में देरी, और ऑनलाइन प्रतिक्रिया की कमी को गंभीर मुद्दा बताया।
विपक्षी दलों ने राज्य में कानून-व्यवस्था की गिरावट का आरोप लगाया और CBI जांच की मांग की।
3. जन आक्रोश और सूचनाओं पर अंकुश
दिल्ली-पिलानी रोड जाम, महापंचायत, और सोशल मीडिया पर व्यापक विरोध।
सरकार ने 48 घंटे के लिए इंटरनेट, एसएमएस और डोंगल सेवाएँ बंद की, ताकि अफवाहों और गुस्से को काबू किया जा सके।
4. CBI जांच और उच्च राजनीति
सरकार ने CBI जांच का आदेश दिया, CM ने खुद मामले की निगरानी का दावा किया।
विपक्ष के आरोपों और सरकार के बचाव में बयानबाज़ियाँ तेज हुईं।
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निष्कर्ष: फ़िलहाल स्थिति क्या है?
मनीषा केस पहले से कहीं जटिल और संवेदनशील बन चुका है।
रिपोर्ट्स सुसाइड की ओर झुकाव दिखाती हैं, लेकिन परिवार, ग्रामीण और विपक्ष का आरोप है कि इतनी तेज़ प्रतिक्रिया के बावजूद न्याय की राह नहीं साफ़ हुई है।
तीन पोस्टमॉर्टम, Internet बंद, जन आक्रोश, और अब CBI जांच—यह सब बताता है कि मामला गर्भित और निर्णायक तत्वों से भरा है।